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Vedo Ka Sampurn Gyan In Hindi

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वेद क्या है 

विश्व के प्राचीनतम साहित्य में सबसे प्राचीन अगर कुछ है तो है भारत के ऋषियो द्वारा लिखे गए प्राचीन वेद जो लगभग 1500 ई पू में लिपिबद्ध किए गए और इसमें अपार ज्ञान समाया है ऐसा कोई विषय वस्तु ज्ञान ना होगा जो इस वेदों में सम्मिलित ना हो । वेद शब्द "विद" से निकला है और विद का मतलब होता है ज्ञान, जो देवताओं द्वारा मनुष्य को प्राप्त हुआ और पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाया गया हो और फिर वेदों के रूप में संकलित किया गया ।

दुनिया का कोई ऐसा विषय वास्तु नहीं होगा जिसके बारे में वेदों में जिक्र न मिले, प्रकृति के सारे नियम ,वो कैसे काम करती है , हर सवाल का जवाब हमें वेदों में जरुर मिल जाता है, कहते है ज्ञान तो अनत काल से विद्धमान रहता ही है और साद रहेगा ओअरान्तु हम उसको समाज सके और अगली पीडियो तक पहुचाये उसके लिए इस ज्ञान को लिखना अति महत्वपूर्ण था  वेदों का ज्ञान खुद देवताओ ने ऋषि मुनियों को सुनाया था और फिर उन्होंने क्रमबद्ध तरीके से इसको लिखा और और कई सालो बाद यह बन कर तैयार हुए  

पौराणिक कथा क्या कहती है 

वेदों को श्रुति भी कहते है श्रुति का मतलब होता है जो सुनाया गया हो एक कथा के अनुसार सतपथ ऋषि के कथन द्वारा माना जाता है की लाखो वर्ष पूर्व सूर्य ,वायु और अग्नि द्वारा तपस्या करने के पश्चात देवताओ ने उन्हें वेदों का ज्ञान दिया और फिर आगे चल कर महान ऋषियो को यह ज्ञान प्राप्त हुआ और फिर लघभग 1500 ई . पू यह वेदों के रूप में लिपिवध किये गए, इन वेदों में अपार ज्ञान समाया है  

वेद मुख्य मुख्य चार प्रकार के है ।

ऋग्वेद = ऋग्वेद सबसे पहला वेद है और यह विश्व का साबसे प्राचीन ग्रन्थ भी है, इस ग्रंथ में 10,500 पद्य और 1028 प्रार्थनाएं हैं और यह 10 मंडलों में विभाजित है । एक से लेकर सात मंडल काफी पहले लिखे गए परंतु बाकी आठ,नौ,और दसवे मंडल काफी बाद में लिखे गए, असल में ऋग्वेद एक मंत्र संग्रह ग्रंथ है जिसमें देवताओं की स्तुति के लिए प्रार्थना एवं मंत्र लिखे हुए हैं । कहते है सबसे पहले सिर्फ एक ही वेद था और स्वयम देवताओं से वेद प्रकट हुआ परंतु त्रेता युग के बाद वेद कई भागों में वंट गया। और फिर ब्रह्मऋषि श्री वेदव्यास जी ने सबसे पहले ऋग्वेद लिपिबद किया । ऋग्वेद के मुख्य पांच भाग है जैसे शाकल्प , वास्कल , अश्वलायन , शाखायण , और मंडू कायन 

प्रसिद्ध गायत्री मंत्र जो सूर्य देवता जी की पत्नी सावित्री को समर्पित है, यह मंत्र इसी ऋग्वेद के तीसरे मंडल में संकलित है । इस के दसवें मंडल में प्रसिद्ध पुरुष सूक्त वर्णित है जिसमें वर्ण व्यवस्था के बारे में संक्षेप में वर्णन है । ऋग्वेद में ओम शब्द 1028 बार आया है और इंद्र शब्द 250 बार आया है ऋग्वेद में भगवान शिव जी रूद्र नाम से  उल्लेखित है और सरस्वती नदी को अति पूजनीय माना गया है ।

सामवेद = संगीत की उत्पत्ति इसी ग्रंथ से हुई है, इसमें संगीत विषय की पूर्ण जानकारी मिलती है संगीत स्वरों जैसे सा, रे, गा, मा,....का ज्ञान इसी में सम्मिलित है इसमें 1549 छंद हैं और इस ग्रंथ को ऋग्वेद का विस्तार ग्रंथ भी कहा जाता है। इसमें सूर्य देवता को समर्पित प्रार्थनाएं लिखी हुई हैं, इसमें सरस्वती नदी के प्रकट होने तथा विलुप्त होने के बारे में लिखा हुआ है यह ग्रंथ ऋषि जैमिनी द्वारा लिखा गया है ।

यजुर्वेद = इस ग्रंथ में यज्ञ में बोले जाने वाले प्रार्थनाएं,रिती रिवाज और यज्ञ विधियां संग्रहित हैं। इस ग्रंथ में चावल के बारे में भी उल्लेख मिलता है,और इसको वृहि कहा गया है। इसमें दो प्रकार के यज्ञों राजसूय और वाजपेई यज्ञ के बारे संक्षेप में उल्लेख मिलता है। यजुर्वेद गद्य और पद्य दोनों तरह से लिपिबद है ।

अथर्ववेद = इस ग्रंथ में जादू-टोने और तंत्र-मंत्रो  के बारे में संक्षेप में वर्णन है,और कैसे तंत्र मंत्रों से बीमारी से निजात मिल सके इसके लिए भी लिखा गया है,इस ग्रंथ को ब्रह्मविद भी कहते हैं इसमें 731 शुक्त हैं और इसका कोई अरण्यक नहीं है। इसी की एक मुंडकोपनिषद में प्रसिद्ध सत्यमेव जयते का उल्लेख मिलता है और वास्तु शास्त्र का विस्तृत ज्ञान भी इसी ग्रंथ से लिया गया है ।

भारत में आज के समय में वेदों की 28 हज़ार पांडुलिपिया सुरक्षित रखी हुई है और यह पांडुलिपिया महाराष्ट्र के पूणे में ओरिएण्टल रिसर्च इंस्टिट्यूट (Oriental Research Institute) में रखी हुई है 

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