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1G,2G,3G Ke Baare Jane Hindi Me

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1G,2G,3G Hindi Me

मोबाइल जनरेशन क्या है ।

आज हम अपने विचारों और बातों को दूसरों से सांझा कर सकते हैं बड़ी ही आसानी से, और यह सब संभव हो पाया है मोबाइल टेक्नोलॉजी से जिसकी आज के समय में बहुत जरूरत महसूस होती है फिर चाहे बात करने के लिए, जानकारी पाने के लिए, संगीत सुनने के लिए, वगैराह-वगैराह लेकिन जो मोबाइल आज हमारे हाथों में है उसको इस आकार में आने में काफी उन्नत तकनीक के विकास और विज्ञान को श्रेय जाता है  मोबाइल की भी पीडीया (Mobile Generation) होती है, जैसे आज के तीस साल पहले पहली मोबाइल जेनरेशन विकसित हुई फिर साल दर साल नई-नई खोजों के साथ नई-नई मोबाइल जेनरेशंस (Mobile Generation) का विकास होता गया 

पहले के समय में अगर एक स्थान या जगह से कोई चिट्ठी-पत्र दूसरे जगह भेजने के लिए काफी मुशक्कत का सामना करना पड़ता था इतिहास में नजर डालें तो हजारों साल पूर्व की पौराणिक सभ्यताओं में इसका उल्लेख मिलता है कि युद्ध में कुछ ऐसे व्यक्ति (घुड़सवार) होते थे जिनका कार्य युद्ध की खबरों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना होता था  कुछ पशु पक्षियों का इस्तेमाल भी संचार के लिए होता था जैसे कबूतर का इस्तेमाल चिट्ठी-पत्र को दूसरे स्थानों पर पहुंचाने में होता था इसके बाद तो cup को धागे से बांध कर दो से 5 मीटर की दूरी पर वार्तालाप भी करते थे इस संचार के क्षेत्र में धीरे-धीरे कई शोधकर्ता जुड़ते गए और कई वैज्ञानिकों ने काम किया और फिर समय के साथ-साथ नई-नई तकनीक विकसित होती गई जिससे की टेलीफोन से मोबाइल के बनने का रास्ता बनता गया 

मोबाइल जनरेशन का इतिहास 

आज से 50 साल पहले किसी ने सपने में भी यह नहीं सोचा होगा कि कभी चलते चलते भी किसी से बात कर सकेंगे या कभी उड़ते हुए हवाई जहाज या चलती गाड़ी में बैठकर अपने चाहने वालों से वार्तालाप संभव होगी । मोबाइल टेक्नोलॉजी को विकसित करने में कई शोधकर्ता और वैज्ञानिकों की मेहनत से भरा योगदान रहा है  17वी शताब्दी में इलेक्ट्रिकल टेलीग्राफ (Telegraph) काफी प्रचलित थी जो तार के जरिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर कोडिंग के द्वारा छोटे संदेश भेज सकती थी पहला टेलीग्राफ इंग्लैंड के वैज्ञानिक ने बनाया था जिसका नाम था फ्रांसिस रोनाल्ड ((Francis Ronalds) था और जिसने 1816 में इसे बनाया । इसके बाद Alfred Veil ने Morse Code का इजाद किया और Samuel Morse के साथ मिलकर यूएस में 1837 को इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ Patent करवाया था, यह टेलीग्राफ 6 जनवरी 1838 को इस्तेमाल में लाया गया इसमें दो स्थानों के बीच की दूरी 3 किलोमीटर थी 

1840 में अमेरिका के वैज्ञानिक Charles Grafton ने अपने शोध में पाया कि अगर दो चुम्बक के मध्य में अगर एक तार की Coil रखकर उसमें से विद्युत प्रवाहित करें तो उसमें से आवाज निकलती है जिसे गैल्वेनिक म्यूजिक नाम दिया गया । मोबाइल जेनरेशन में कई पीढ़ियां आई और चली गई, साथ ही नई और उन्नत जनरेशन उसकी जगह लेती गई जो पिछली पीढ़ियों से काफी बेहतर, तेज और कई नए गुणों से संपन्न बनती गई इस पीडीयो को बेहतर करने के लिए नई तकनीक और नए-नए अविष्कारों की मदद से बेहतर बनाया गया 

0G (जीरो ज़ी मोबाइल जनरेशन )

सबसे पहले हम बात करेंगे 0G (जीरो जी) मोबाइल जनरेशन की जिसमें टेलीफोन का नाम अंकित है यानी कि 1900 से लेकर 1950 के दौरान इस्तेमाल में लाए गए टेलीफोन जिसमें आवाज तारों द्वारा एक से दूसरी जगह पहुंची थी इसको हम वायर टेलिफोनी भी कह सकते हैं तारों का नेटवर्क विछा होता था और नंबर डायल करने के बाद रिसीवर उठाकर बात करते थे टेलीफोन का आविष्कार स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक एलेग्जेंडर ग्राहम बेल (Alexander Graham Bell) ने 2 जून 1875 में किया था उन्होंने पहली बार यह करिश्मा करके अपने एक साथी थॉमस वाटसन को फोन किया था और कहा था "Mr Watson, came here, i want you." परंतु उन टेलीफोन में आवाज की क्वालिटी अच्छी नहीं होती थी और यह टेलीफोन एक ही जगह पर लगा रहता यानि कि हम इसको एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जा सकते थे और इसका खर्चा काफी महंगा भी था 

1G ( वन ज़ी  मोबाइल जनरेशन )

काफ़ी कोशिशों और नई तकनीक के इस्तेमाल के साथ टेलीफोन संचार के क्षेत्र में क्रांति का आगाज तब हुआ जब जापान ने पहली बार 1979 में फर्स्ट मोबाइल जनरेशन मतलब कि 1G को लांच किया फिर धीरे-धीरे 1980 में यूएसए (USA) और 1981-82 में भारत में भी इसका विस्तार शुरू हुआ जापान की Nippon Telegraph and Telephone (NTT) ने 1979 1G को आधिकारिक तौर पर लांच किया 1G की तकनीक एनालॉग रेडियो तरंगों (Analog Signal) का इस्तेमाल करती थी और इसकी स्पीड 2.4 Kb/s थी तथा फ्रीक्वेंसी (Frequency) 150 MHz थी  इस मोबाइल जनरेशन में फीचर फोन का इस्तेमाल होता था जो आज के मोबाइल जैसा ही था पर उस पर एक एंटीना होता था और इस में बैटरी की खपत बहुत ज्यादा थी, इसमें कॉल ड्रॉप होती रहती थी और नेटवर्क सिक्योर (Network Secure) भी नहीं था, यानी कि हैक हो सकता था सबसे पहले पहला 1G फोन मोटरोला का डायनाटेक (Motorola DynaTAC) था जिसका प्रोडक्शन भारी मात्रा में हुआ भारत में पहली बार 1G नेटवर्क पर कॉल कोलकाता में 31 जुलाई 1995 को मोदी तेल्स्त्रा नेटवर्क (Modi Telstra Network) के द्वारा संपन्न हुई 

2G ( टू ज़ी  मोबाइल जनरेशन )

अब बात आती है और उन्नत मोबाइल जेनरेशन जिसको पहली बार व्यवसायिक तौर पर फिनलैंड में 1991 को शुरू किया गया जिसका नाम 2G सांस्कृतिक क्रांति (Cultural Revolution) भी कहते हैं पहली बार फिनलैंड में इसे Radiolinja द्वारा लांच किया गया था, इस तकनीक में स्पीड 64 Kbps और फ्रीक्वेंसी 900 मेगाहर्ट्ज होती थी । मोबाइल फोन अब थोड़े छोटे, बेहतर आवाज क्वालिटी देने वाले तथा एंटीना के बिना बनने लगे भारत में 2G 1992 को शुरू हुई इस मोबाइल जनरेशन में अब हम एस एम एस (SMS) , एम एम एस (MMS) भेज सकते थे और यह तकनीक डिजिटल सिग्नल (Digital Signal) का इस्तेमाल करती थी, सभी calls Digitally Encrypted हो गयी और Network काफी Secure हो गया  1997 में  जीपीआरएस (GPRS) हुआ जिससे इंटरनेट ब्राउज़ करना, मेल भेजना आरंभ हुआ । GPRS शुरू होने के बाद मोबाइल जेनरेशन का नाम बदलकर 2.5G हो गया इसका Symbol था G । कुछ सालो बाद अब एक और तकनीक का आगमन हुआ जिस को कहा गया EDGE जिसकी मेल से 2G अब 2.75G बना और जिससे नेटवर्क और ज्यादा Secure हो गया और इंटरनेट की स्पीड भी काफी हद तक बढ़ गई 

3G ( थ्री ज़ी  मोबाइल जनरेशन )

विज्ञान और नई ऊंचाइयों को छुआ और अब जन्म हुआ 3G मोबाइल जनरेशन का जिसमें ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming), वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (Video Conferencing), फास्ट इंटरनेट (Fast Internet) , फास्ट डाउनलोडिंग (Fast Downloading) , और  वीडियो कॉल (Video Call) करना संभव हो पाया । सबसे पहले जापान में मई 2001 को 3G Docomo द्वारा लांच किया गया, Commercially तोर पर इसको एक अक्टूबर को जापान में ही लांच किय गया ,उसके बाद साउथ कोरिया में 2002 में 3G शुरू हुई । इस तकनीक में स्पीड 144 Kbps और फ्रीक्वेंसी 900/1900/2100 मेगाहर्ट्ज होती थी । इसमें Voice Quality और बेहतर हो गयी । 3G को Packet Switching Revolution भी कहते है । अमेरिका में कमर्शियल तोर पर 3G सेवा Verizon Wireless द्वारा 2003 में प्रधान की गयी, वही यूरोप में सबसे पहले इटली ने 3G सेवा शुरू की । भारत की बात करे तो यहाँ पर 3G सेवा MTNL द्वारा 11 दिसम्बर 2008 को दिल्ली में आरम्भ हुई उसके बा BSNL ने भी 22 फरबरी 2009 में 3G सेवा देना शुरू कर दिया । पहले पहल 3G मोबाइल फ़ोन बहुत महगे थे , 2008 में HSPA के लांच के साथ 3G नेटवर्क और मजबूत हो गया और फ़ोन में Symbol H आता था जिसको 3.5G भी कहते थे और फिर उसके बाद और सुधार हुआ और HSPA और तेज़ हो गया और इसका Symbol आता था H⁺ जिसको 3.75G भी कहते थे 

4G ( फौर ज़ी  मोबाइल जनरेशन )

सबसे पहले यह सेवा ओस्लो, नॉर्वे में 2009 को शुरू हुई और 2011 में अमेरिका में , इसका दूसरा नाम Long Term Evalution (LTE) और इसको Streaming Era भी कहते है । इसकी रफ़्तार 3G से पांच गुना तेज़ है, इसमें आपको मिलती है बेहतरीन आवाज गुणवत्ता, Faster Download, Simultation गेमिंग , IP Telephony , Cloud Computing , HD Tv और calling के साथ साथ विडियो कालिंग का आनंद भी । इसकी स्पीड 100 Mb/s से 1 Gb/s तक हो सकती है, इसकी फ्रीक्वेंसी 700/800/2100/2600 MegaHertz होती है । सबसे पहले भारत में Airtel ने बेंगुलुरु में अगस्त 2014 को 4G शुरू कर दी थी, उसके कुछ सालो बाद भारत में JIO ने तो कमाल ही कर दिया सबसे सस्टी और तेज़ 4G सेवा प्रधान कर के जिसे जिओ ने अगस्त 2016 में लांच किया था, उस समय पूरी दुनिया की यह सबसे सस्ती 4G सेवा थी । 4G के इस्तेमाल के लिए आपके पास 4G इनेबल मोबाइल हैंडसेट भी होना चाहिए जो इसकी बैंडविड्थ को सपोर्ट कर सके ।

5G ( फाइव ज़ी  मोबाइल जनरेशन )

यह मोबाइल जनरेशन WWWW (Wireless World Wide Web) को सपोर्ट करती है ,इसमें आपको और बेहतर आवाज क्वालिटी मिलेगी और इन्टरनेट की स्पीड जो सुपर तेज़ हो जाएगी अभी यह टेक्नोलॉजी developing stage पे है पर जल्द ही लांच हो सकती है । इसका दूसरा नाम होगा Internet of Things Era और Mobile Brandband क्युकी इसमें हम एक मोबाइल से दस devices को link करके उसमे आसानी से internet का मजा ले पायेगे । इसमें आपको स्पीड 1Gb/s से 3Gb/s तक milegi 

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