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Bhagwan Vishnu Ke Das Avtaar

Bhagwan Vishnu Ke Das Avtaar,Bhagwan Vishnu Ke Das Avtaar ki katha
Dasavtaar

भगवन विष्णु के दस अवतार 

इस पृथ्वी पे कई देवी देवतायो ने अनगिनत बार यहाँ जनम लेकर पाप का नाश किया है त्रिदेवो में से एक भगवान विष्णु जी है जिन्होंने समय समय पे अलग अलग रूपों में अवतार लेकर दानवो का संग्हार किया ,भगवान विष्णु को पालनहार भी कहा गया है आप सब ने रामायण तथा महाभारत की कथाएं तो सुनी ही होंगी ,वे हर युग मे इस पृथ्वी पे अवतार के रूप में आते रहे हैं और आते रहेंगे ताकि बुराई का अंत हो सके और धर्म का राज स्थापित हो सकेहर तरफ सुख समृधि हो तथा मनुष्य जीवन मरण के चक्र से बाहर निकलकर उस परमात्मा में लीन हो सकेभगवान कृष्ण ने भगवत गीता में यह कथन अर्जुन को स्पष्ट किये है की बुराई को मिटाने और धर्म का राज पुनः स्थापित करने के लिए मैं युगों-युगों तक अवतार लेकर इस पृथ्वी पर आता रहूंगा ।
भगवान विष्णु जी ने हर युग में अवतार लिया है वेदों के अनुसार मुख्य रूप से चार युग होते है जो इस प्रकार है सबसे पहले सत्ययुग फिर त्रेतायुग और उसके बाद द्वापरयुग और अब कलयुग है
भगवान विष्णु जी ने हर युग में अवतार लिए है, भगवान् विष्णु जी ने जो अवतार लिए है वो इस प्रकार है

1. मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का यह अवतार सत्ययुग काल में हुआ था ,जिसमे वे एक मछली के रूप में थे और उस समय उन्होंने मनु और सप्तर्षियों को प्रलय से बचाया था और उनको एक नई दुनिया में ले जाकर फिर से बसाया भी था 
एक कथा के अनुसार ऋषि मनु स्नान के लिए नदी में गए तो नदी में उन्हें एक मछली दिखाई दी  जो उनसे कहती है की यहाँ मुझे कोई बड़ी मछली खा लेगी इसलिए मुझे शरण दो तब दयालु ऋषि ने उस मछली को अपने कमंडल में डाल लिया ,जैसे वे घर जाते है तो देखते है की वो मछली अब बड़ी हो गयी है तब वे उसे किसी बड़ी वर्तन में डाल देते है परन्तु वो मछली फिर और बड़ी हो जाती है ,तब ऋषि उसको एक तालाब में डाल देते है उसके बाद फिर वो उसके झील में छोर देते है उसके बाद भी वे मछली और विशालकाय हो जाती ,यह देख कर ऋषि समझ जाते यह कोई देवता है और उस मछली को अपने दर्शन देने को कहते है उसी समय वो मछली भगवन विष्णु के मछली अवतार का रूप धारण कर लेती है जिसमे ऊपर का शिर मछली का होता है और निचे का धर देवता का , दर्शन देने के बाद मत्स्य अवतार ऋषि मनु से कहते है कुछ दिनों में प्रलय आयेगा इसलिए एक बड़ा जहाज बनाओ और उसमे सब जाती के जीवो को रखो ,सब नष्ट होने पे तूफ़ान शांत हो जायेगा तब में खुद तुम्हारे जहाज़ को किनारे ले आऊंगा और उसके बाद नए जीवन का आरम्भ हो जायगा 


2. कुरमा अवतार = यह अवतार जब हुआ उस समय भी सतयुग था जब देवों और दानवों ने अमृत पाने की चाह में समुंद्र मंथन कराने के बारे में सोचा तब उन्हें यह समझ नहीं आ रहा था कि वह मंदरा पर्वत को किस नीव् आधार पर रखें तब कुर्मा अवतार ही नीव् आधार बने और पर्वत का भार संभाला जिसकी वजह से कई बहुमूल्य रतन समुद्र से बहार आये और उसके साथ साथ अप्सराये , कामधेनु गाय ,पारीजात वृक्ष ,कई तरह की शक्तिया, विष ,कई दुर्लब बस्तुए और अंत में अमृत भी बहार आया था 


3. वाराह अवतार = यह अवतार भी सत्ययुग में ही हुआ था जब राक्षस हिरान्यक्षा ने पृथ्वी को पानी में डुबो दिया तब भगवन विष्णु जी भगवन ब्रह्मा जी के नाभि से निकले और पृथ्वी को वाराह बनके पानी से उठा लाए और उसके बाद उनका और राक्षश का विषण युद्ध हुआ जिसमे वाराह अवतार ने उस राक्षस का वध कर दिया 


4. नरसिम्हा अवतार = यह भी सत्ययुग की ही बात है जब हिरणकश्यप ने के बड़े भाई हिरण्यकश्यपु को वरदान मिला कि कोई जानवर, नर उसे नहीं मार सकता, न ही वो बाहर मरेगा न ही अंदर, न ही सुबह मरेगा और न ही रात को ,अब इतना कठोर वरदान प्राप्त करके वो असुर राज बहुत बलशाली हो गया और हर किसी को युद्ध में हरा के स्वर्ग लोक पे युद्ध पे हमला कर दिया तब नरसिम्हा अवतार जो विष्णु जी के चोथे अवतार थे उनका संहार किया जिसके लिए वे एक खम्बे को तोड़ कर अवतरित हुए और हिरण्यकश्यपु को अपनी जांगो पे रख कर अपने नाखूनों से उसके पेट को चीर दिया 


5.
वामन अवतार हिरण्यकशिपु के बेटे प्रह्लाद के पोते बली थे जिनको नवेली भी कहते हैं बलि ने तीनों लोकों पर अधिपत्य जताने के लिए यज्ञ किया तब विष्णु जी ने बामण का अवतार धारण किया और जब 
यज्ञ खत्म हुआ उसके पश्चात उन्होंने ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देने थी तब राजा बली ने विष्णु जी के बामण अवतार से कुछ मांगने को कहा बामण जी ने उनसे सिर्फ तीन पग जमीन मांगी परंतु बाली ने अहंकार में कहा बस तीन पग कुछ और मांगो, पर बाहमण जी ने कहा तीन पग काफी हैं ,तब राजा बली ने कहा चलो माप लो अपने छोटे-छोटे पैरो से तीन पग भूमि, किंतु ऐसा कहते हैं बामन जी ने विराट रूप धारण किया और एक पग में पृथ्वी तथा दूसरे पग में पाताल देवलोक प्राप्त कर लिया अभी भी एक पग बाकि था फिर राजा बलि ने अपना शीश आगे कर दिया और कहा तीसरा पग मेरे शीश पर रखे ,और पैर रखते ही राजा बली पाताल लोक पहुच गए  कहते हैं राजा बलि साल में एक बार केरला की धरती पर प्रजा से मिलने आते हैं और उसी दिन ओणम  उत्सव मनाया जाता है 

6. परशुरामवह ब्रह्म ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे और अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव से परशु पाया था । एक बार जब राजा सहस्त्र्यर्जुन (कार्तवीर्य)अपने सैनिको के साथ युद्ध करके वापिस लोट रहे थे तब रात को वे सब ऋषि जमदग्नि के आश्रम में आए तब ऋषि ने राजा कार्तवीर्य और सेना की खातिरदारी दिव्य गाय कामधेनु की सहायता से की, राजा ने यह सब देख कर ऋषि से कहा की यह कामधेनु उसे दे दो परंतु ऋषि नहीं माने तब राजा बलपूर्वक गाय को अपने महल में ले गए और आश्रम की तबाही भी कर दी उसके बाद परशुराम जी ने राजा के हजारो हाथो को अपने परशु से काट कर रजा को भी मार दिया और फिर राजा के पुत्र ने ऋषि जमदग्नि को आश्रम पे हमला कर मार डाला था तब फिर परशुराम जी ने प्रण लिया कि अब वे सभी क्षत्रियों को मार देंगे और उन्होंने इकीस बार पृथ्वी से क्षत्रियों का अंत किया था और फिर परशुराम जी के दादाजी ऋषि रुचिका प्रकट हुए और परशुराम को रोका । कहते हैं कि वह चिरंजीवी हैं और महेंद्र गिरी पर्वत पर रहते हैं ।

6. राम अवतार = श्री राम जी की कथा से तो आप सब अवगत ही होंगे की कैसे श्री राम जी अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र थे और जब उन्हें 14 साल के लिए वनवास पर जाना पड़ा तब उनके साथ एक घटना घटी थी, लंका के राक्षसराज रावण ने माता सीता का हरण किया और उन्हें लंका ले गया फिर कैसे श्री राम जी, लक्ष्मण, भगवान हनुमान जी और वानर राज सुग्रीव जी की सेना के साथ मिलकर श्री राम जी ने रावण का वध किया, उनको मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहते हैं 


7. भगवान् कृष्ण= यह भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं इनका जन्म मथुरा में हुआ इनके बड़े भाई का नाम बलराम तथा बहन का नाम सुभद्रा, तथा इनकी माता देवकी और पिता वासुदेव जी थे  भगवान श्री कृष्ण जी का लालन पालन करने बाले पिता नंद बाबा और माताजी यशोोदा थी। कृष्ण जी ने अपने अनुज और परम मित्र अर्जुन को कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर महाभारत के युद्ध में विराट रूप में भगवत गीता का संपूर्ण पाठ सुनाया था और जिसको लोग आज भी सम्पूर्ण निष्ठा और विश्वास केेे साथ पढ़ते हैं तथा इसकी पूजा भी करते हैं ।


9. भगवान गौतम बुद्ध= भगवान गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी स्थान जो कपिलबस्तु के पास (इस समय नेपाल में है) वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था उनका नाम सिद्धार्थ था उनके पिता का नाम शुद्धोधन था यह कौशल असम राज्य के सम्राट थे और माता का नाम महामाया था जिनका बुद्ध के जन्म के साथ देहांत हो गया था तथा उनकी बहन प्रजापति गौतमी ने उनका लालन-पालन किया था उनका विवाह 16 वर्ष की आयु में यशोधरा जी से हुआ जिससे उनको एक बेटा हुआ जिनका नाम राहुल था  12 वर्ष बाद 29 वर्ष की आयु में उन्होंने राजपाठ छोर दिया, वन में काफी दिनों तक घूमने के बाद उन्हें गुरु के रुप में आलार कलाम मिले और कई वर्षों तक वन में घुमने और कठोर तपस्या करने के बाद अंत में निरंजना नदी के किनारे बिहार (गया) मैं एक पीपल के पेड़ के नीचे उन्हें परम ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह बुद्ध बन गए इनकी मृत्यु सन 483 bc में कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश में हुई ,इनका जन्म 563 bc हुआ।


10. कल्कि अवतार= विष्णु भगवान का यह अवतार इस कलयुग में अवतरित होगा जब पाप बहुत अधिक बढ़ जाएगा तब इनका जन्म एक परिवार में होगा इनके पिता जी का नाम विष्णुयश होगा तथा माता का नाम सुमति होगा । कल्कि जी सफेद घोड़े पे सवार होंगे और उनके हाथों में दो तलवारें होंगे और वह दोनों तलवारों से पापियों का नाश करते जाएंगे यह कल्कि अवतार विष्णु भगवान का दसवां और अंतिम अवतार है।

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