Header Ads Widget

Environment day in Hindi

Environment day in Hindi , world Environment day
 Environment day

पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है 

दूर-दूर तक अगर हरियाली ही हरियाली नजर आए तो कितना अच्छा लगता है । हरे भरे पेड़-पौधों का दृश्य देखना आंखों को कितना संतोष प्रदान करता है, हमारा पर्यावरण हमारे लिए ईश्वर की अनमोल देन है जिसका ख्याल सब जीवों से बुद्धिमान होने के नाते हमें ही रखना है, इसलिए हर वर्ष World Environment day (विश्व पर्यावरण दिवस) मनाया जाता है जब से औधोयोगिक क्रांति (Industrial Revolution ) हुई है, हर तरफ कच्चा माल जुटाने की एक होड़ सी लगी हुई है जिससे की Finished Goods बनाकर अधिक कमाई कर सकें परंतु इससे कई तरह के  प्रदूषण का जन्म भी होता है, और प्रकृति का हनन हो तो होता ही है इसलिए पूरे विश्व भर में World Environment day (विश्व पर्यावरण दिवस) हमें जागरूक करने हेतु मनाया जाता है हर मनुष्य को यह अपना कर्तव्य समझना चाहिए कि वह अपने आसपास हर तरफ स्वच्छता रखें और अपने पर्यावरण की रक्षा करें ताकि World Environment day (विश्व पर्यावरण दिवस) मनाने का उद्देश्य पूरा हो सके और सभी खुश रखे प्रकृति भी और जीवन भी 

विश्व पर्यावरण दिवस मनाना कब और कैसे शुरू हुआ 

यह प्रकृति का हनन तो बहुत पहले से ही चलता आ रहा है जैसे पेड़ों का कटना, जल और वायु प्रदूषण का होना इत्यादि परंतु यह सब उस सीमा तक नहीं था जिसके बाद प्रकृति अपने आपको वापस रिसाइकल या पुनरावृति (Recycle) ना कर सके क्योंकि कुदरत के अपने बहुत से चक्र होते हैं जैसे ऑक्सीजन चक्र, नाइट्रोजन चक्र, जल चक्र, चट्टान चक्कर इत्यादि जिससे वे अपने आप की हानि की वापिस भरपाई कर लेती है, लेकिन औद्योगिक क्रांति के बाद प्रकृति का दोहन बहुत तेज गति से होने लगा जिसके फलस्वरूप प्रकृति के चक्र भी प्रभावित होने लगे और फिर प्रकृतिक आपदाएं भी बढ़ गई जैसे बाढ़ का हर साल होना, भूमिगत जल स्तर साल दर साल नीचे चलते जान, ओजोन लेयर में छेद और जहरीली गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड, का वातावरण में बड जाना  दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब संयुक्त राष्ट्र यूएन (United Nations) का गठन और विस्तार हुआ तब दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का ध्यान प्रकृति के बिगड़ते हालात पर पड़ा और फिर सन 1972 को 5 से 16 जून में एक आयोजन शुरू हुआ, यह आयोजन स्टॉकहोम में हुआ इसलिए इसका नाम स्टॉकहोम कॉन्फ्रेंस रखा और इसको कॉन्फ्रेंस ऑन ह्यूमन इनरोलमेंट भी संज्ञा दी जाती है इस सभा में कई दिग्गज विज्ञानिक, विशेषज्ञ और शोधकर्ता भी आमंत्रित थे, सब ने मिलकर पर्यावरण के संरक्षण के साथ , प्रकृति की रक्षा के मुद्दों पर अलग-अलग देशों के नेताओं के साथ बातचीत की  

1972 को 15 दिसंबर के दिन जनरल असेंबली ने एक प्रस्ताव (Resolution) पास करते हुए यह घोषणा की, कि अब से हर साल 5 जून को World Environment day (विश्व पर्यावरण दिवस) मनाया जाएगा,  इसके साथ-साथ जनरल असेंबली ने प्रकृति के मुद्दों के निर्धारण हेतु एक कार्यक्रम ( Programme) की घोषणा भी की, जिसको यूएनईपी (UNEP) कहते हैं  घोषणा के बाद साल 1974 के 5 जून को पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस उत्सव पूरे जोर-शोर से पूरे विश्व में मनाया गया इसकी शुरुआत Spokane (USA) से की गई  । पहली विषय (Theme) "Only One Earth" रखी गई, हर साल एक नई Theme रखी जाती है । फिर 1987 से एक नए विचार मेजवानी (Hosting) की घोषणा की गई जिसमें हर वर्ष एक नया देश इस महोत्सव की मेजबानी करेगा शुरू शुरू में 119 देश ने इस सम्मेलन में शामिल हुए परंतु बाद में समय के साथ-साथ इसकी संख्या बढ़ती गई और आज लगभग विश्व के सारे देश पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक साथ हैं। 

यह पर्यावरण दिवस क्यों जरूरी है

यह उत्सव हर व्यक्ति को मनाना चाहिए और एक जिम्मेदारी को समझना चाहिए कि हमें कैसे प्रकृति की रक्षा करनी है अगर हम अपने वातावरण या पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण नहीं कर पाए तो जीवन का पनपना अति कठिन हो जाएगा और कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ सकता है इसलिए हमें यह अपना कर्तव्य समझकर और दूसरों को भी जागरूक करके अपने वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए और इससे जुड़ी हर वस्तु का संरक्षण करना चाहिए 


भारत का क्या योगदान रहा है पर्यावरण के प्रति

भारत हजारों सालों से प्रकृति की रक्षा की प्रति सजग रहा है और प्रकृति की रक्षा की भावना हमारी संस्कृति में भी दिखाई देती है हमारे रीति-रिवाजों में पेड़ पौधों को देवता माना जाता है नदियों को माता माना गया है भारत में 45000 तरह के अलग-अलग पेड़ पौधों के साथ-साथ 81000 तरह के पशु-पक्षी जहां विचरण करते हैं और जैव विविधता तो यहाँ के कण-कण में समाई हुई है विश्व में  जैव विविधता के मामले में भारत का 12वा स्थान है तभी तो कहते हैं इंक्रेडिबल इंडिया (Incredible India)   विश्व के 7.1% वनस्पति (Flora) और 6.5% वन्य जीव (Fauna) भारत में पाए जाते है , भारत का पर्यावरण के संरक्षण में काफी योगदान रहा है ना सिर्फ आज बल्कि कई हजारों वर्षों से हम प्रकृति की पूजा करते आए हैं और

1. भारत में नदियों को पूजा जाता है 
2. जैसे पीपल बरगद इत्यादि को देवता माना जाता है और पूजा की जाती है 
3. गाय को माता के समान पूछते हैं 
4. यहाँ आदिवासी भी रहते हैं जो वनों को पवित्र मानते हैं और उनको पूजते भी हैं 
5. आयुर्वेद में जड़ी बूटियों के बारे में लिखा हुआ है जप सब प्रकृति से ही मिलते है 

प्राचीन काल से ही भारत के ऋषि-मुनियों को प्रकृति के महत्व का भली-भांति ज्ञान था विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथों जैसे वेदों और पुराणों में प्रकृति की देन के बारे में विवरण मिलता है 

प्रकृति की रक्षा के लिए हम कैसे योगदान दें 

1. जितना हो सके उतना पेड़ों का रोपण करें 
2. अपने आसपास की जगहों को स्वच्छ रखें 
3. शौचालय का प्रयोग करें तथा दूसरों को भी करने के लिए प्रेरित करें 
4. पॉलिथीन और प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करें 
5. बिजली की बचत करें 
6. कागज का इस्तेमाल जितना हो सके उतना कम इस्तेमाल करें 
7. ऑर्गेनिक खेती करें यानी कि उर्वरक के इस्तेमाल करने के बजाय गोबर-खाद का इस्तेमाल अत्यधिक करें 
8. कूड़ा करकट नदियों में ना फेकें 
9. पशु पक्षियों को प्रेम करें उन्हें परेशान ना करें और, 
10. यह सब प्रकृति संरक्षण की बातें दूसरों को भी बताएं 
11. कपड़े से बनी थैली का इस्तेमाल करें 
12. पुराने कचरे को रिसाइकलरीयूजरिड्यूस करके 

हर एक मानव को होना होगा आज जागरूक और पर्यावरण का संरक्षण करना होगा ताकि हमारा कल संरक्षित रहे ।

अगर आपको हमारी यह Post अच्छी लगी हो तो इसको Share जरूर करे 



एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

कोई सवाल या सुझाव के लिए हमें कमेंट करे