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Raj Kapoor, Showman of Indian Cinema

सिनेमा जगत के शोमैन श्री राज कपूर 

आज हम जिस महान हस्ती की बात करने जा रहे है वो भारतीय सिनेमा के शो मैन है यनि की  राज कपूर साहब जो हमारे हिंदी फिल्म जगत के एक प्रख्यात अभिनेता, निर्देशक और निर्माता रहे हैं 
राज कपूर जी कई नामों से नमाज़े किए गए हैं, 2002 में उन्हें स्टार स्क्रीन अवॉर्ड्स समारोह में शो मैन ऑफ द मिलेनियम नाम दिया और स्टारडस्ट अवॉर्ड्स समारोह में उन्हें डायरेक्टर ऑफ मिलेनियम अवार्ड से नवाजा गया  राज कपूर जी का जन्म 14 दिसंबर 1924 को पेशावर में पृथ्वीराज कपूर और रामशरणी जी की कपूर हवेली में हुआ। इतने महान व्यक्तित्व के मालिक राज कपूर साहब को उनके पिताजी ने कई बार भारत के बड़े-बड़े स्कूलों में पढ़ाई के लिए भेजा जैसे सेंट ज़ेवियर स्कूल कोलकाता और ब्राउन कैंब्रिज स्कूल देहरादून, परंतु उनका मन पढ़ाई में नहीं लग पाया और छठी क्लास की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर वह मुंबई चले आए और पिता श्री पृथ्वीराज कपूर जी के साथ फिल्मो के कामकाज में उनका साथ देने लगे। राज कपूर जी के पिता श्री पृथ्वीराज कपूर 1930 में मुंबई चले आए थे और बतौर अभिनेता फिल्मों में काम करने के लिए कई बार मैं अपने क्रू मेंबर के साथ भारत दौरे पर भी गए ।


राज कपूर जी का बचपन और परिवार 

राज साहब का राशिफल धनु है, और बाल भूरे है, उनका पसंदीदा रंग सफेद था। उनके खाने में बिरयानी, अंडे और चिकन-करी इत्यादि पसंद है उनके खास मित्र में देवानंद, दिलीप कुमार और नरगिस शामिल थे, उन्हें बजाने का बहुत शौक था और अकॉर्डिंग वे अक्सर बजाया करते थे । उनके दो भाई शशि कपूर और शम्मी कपूर हिंदी फिल्म जगत के मशहूर अभिनेता रहे हैं राज कपूर जी की शादी श्रीमती कृष्णा देवी जी से हुई जिनकी बहन मशहूर कलाकार प्रेम चोपड़ा जी की पत्नी है और शादी के बाद में कृष्णा देवी जी के तीनों भाई रजिंदर, नरेंद्र और प्रेमनाथ को भी फिल्मों में काम मिल गया कृष्णा देवी और राज कपूर जी के तीन बेटे रणबीर कपूर, ऋषि कपूर और राजीव कपूर तथा दो बेटियां रितु नंदा और रीमा जैन हुए । 
रणधीर कपूर जी की शादी अभिनेत्री बबीता जी से हुई और इनके दो बेटियां करिश्मा और करीना हुई वहीं ऋषि कपूर जी की शादी अभिनेत्री नीतू सिंह से हुई और इनको रणवीर कपूर बेटा हुआ, कहते हैं कि सब नाती-पोतों में राज कपूर जी को रणवीर से सबसे ज्यादा स्नेह था ।राज कपूर जी की एक बेटी रितु नंदा जी के बेटे निखिल नंदा जी की शादी मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन जी की बेटी श्वेता बच्चन से हुई है ।


उनका करियर 

राज कपूर जी को उनका पहला रोल फिल्म इंकलाब में मिला जिसमें उन्होंने एक बच्चे की भूमिका निभाई थी तब सिर्फ 10 वर्ष के थे वैसे तो वह एक संगीत निर्देशक बनना चाहते थे परंतु किस्मत को कुछ और ही मंजूर था उनके पिताजी अब फिल्मी जगत में स्थापित हो चुके थे राज कपूर जी चाहते तो सीधे फिल्मों में बतौर अभिनेता आ सकते थे लेकिन उन्होंने अभी थोड़ी मेहनत करना जरूरी समझा पिताजी के परामर्श पे वह उस समय के मशहूर निर्देशक केदार शर्मा जी के साथ काफी सालो तक क्लैपर बॉय के तौर पर काम किया और फ़िल्म जगत की हर एक बारीकियों को सीखा, एक बार फिल्म ज्वार भाटा के शूटिंग चल रही थी और राज कपूर जी का काम कैमरे के सामने क्लैपर को क्लैप करना जो उस समय उन्होंने कुछ जोर से कर दिया की फिल्म के अभिनेता की दाढ़ी उसमें उस में फ़स गयी, केदार शर्मा जी को इस बात पे बहुत गुस्सा आया और उन्होंने राज जी को जोर से एक थप्पड़ जड़ दिया, राज जी ने भी अपनी गलती मान ली, बाद में इनको बतौर अभिनेता पहली फिल्म निर्देशक केदार शर्मा ने दी जिसका नाम था नीलकमल (1947) उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक नई फिल्म पेश की जैसे आवारा (1951), आह (1953), श्री 420 (1955), जागते रहो (1956), चोरी चोरी (1956), अनाड़ी (1959), छलिया (1960), दिल ही तो है (1963) । निदेशक के रूप में उनकी पहली फिल्म आग थी जो 1947 में आई और इसमें उनका नाम केवल खन्ना था इसके बाद बरसात, आवारा, श्री 420, संगम जैसी मशहूर और सुपरहिट फिल्म का निर्देशन भी किया राज कपूर जी ने किया ,वे उस समय के सबसे छोटी उम्र के निर्देशक बन गए थे ।

उनकी पसंदीदा फिल्म और उनकी उपलब्दिया 

मेरा नाम जोकर एक ऐसी फिल्म थी जो राज जी बहुत पहले से बनाना चाहते थे और यह फिल्म उनके दिल के बहुत ही करीब थी आखिर उन्होंने उसे 1970 में बना कर पूरा किया और रिलीज किया पर यह बाकी फिल्मों की तरह हिट नहीं हुई जिसका राज जी को बहुत दुख हुआ उनकी फिल्मों का थीम जरा हटके होता था और समाज की बुराइयों को दर्शाता था उन्होंने हर विषय पे फ़िल्म बनाई और समाज मे रह रहे हर एक तबके के लोगो को अपनी फिल्मों से जागरूक किया उनकी फिल्में समाजवाद पे आधारित होती थी और समाज को कुछ सीख देती थी। राज कपूर जी को तीन बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार ,ग्यारह बार फ़िल्मफ़ेअर पुरस्कार , फिल्मफेर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार , 1971 में पदम भूषण तथा 1987 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

उन्होंने अपने अंतिम दिनों में फिल्म हिना की शुरुआत की थी जिसको उनके देहांत के बाद उनके बेटों ऋषि कपूर और रणधीर कपूर नहीं पूरा किया उन्हें अस्थमा हो गया था जिसके चलते वह अक्सर बीमार रहते थे जब वे राष्ट्रपति भवन में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार लेने पहुंचे तो वहां पर अस्थमा काफी बढ़ गया और उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई और उन्हें एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया परंतु एक महीने के बाद 2 जून 1988 में स्वर्ग सिधार गई लेकिन अपनी बेहतरीन फिल्मों के द्वारा हमेशा अपने चाहने वालों के दिल में और यादों में जिंदा रहेंगे, वे भारतीय सिनेमाजगत के महान शोमैन थेऔर हमेशा रहेंगे ।


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