World Water Day का महत्व आजकल के समय में हर किसी को समझना चाहिए और जल संरक्षण करने के हर संभव प्रयास करने चाहिए क्योंकि विश्व जल दिवस को मनाने के पीछे का सच ही यही है कि हम सब जल का सही तरीके से इस्तेमाल करें और अपने आसपास के हर एक नागरिक , दोस्तों और रिश्तेदारों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित और जागरूक करते रहे , विश्व जल दिवस यानि की World Water Day हर साल 22 मार्च को मनाया जाता है और हमें यह सिखाता है कि हमें आज अभी से ही यह प्रण लेना है कि हम अब पानी का उतना ही इस्तेमाल करेंगे जितना जरूरत हो और जल की हर एक बूंद का संरक्षण करेंगे और कभी पानी को जाया नहीं होने देंगे
World Water Day का इतिहास
Rio de janeiro में 3 to 14 June 1992 को
style="background-color: white; color: #222222; font-family: Kalam;">एक Meeting हुई जिसको Earth Summit या United nation Conference on Environment and Development (UNCED) भी कहते है उसमे जलवायु परिवर्तन के बारे में सोच विचार किया गया , इसमें काफी सारे मुद्दो को उठाया गया था उसी में से एक जल संरक्षण का भी महवपूर्ण मुद्दा था और अंत में यह निष्कर्ष निकल गया की जल संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे और हर किसी को जल संरक्षण के लिए आगे आना होगा साथ ही हर एक नागरिक को इसके प्रति जागरूक भी करना बहुत जरुरी है तो इसके लिए December 1992 को एक Resolution pass किया गया जिसमे कहा गया था की अगले वर्ष से हर साल को 22 March World Water Day के रूप में मनाया जायेगा World Water Day क्यों मनाते है
यह तो हम सबको पता है कि सभी ग्रहों में से सिर्फ पृथ्वी पर ही जल मौजूद है तभी तो यहाँ जीवन की उत्पत्ति का होना संभव हो पाया क्योंकि जीवन के होने के लिए जल का विराजमान होना अति महत्वपूर्ण है हमारी धरती के तीन चौथाई हिस्से में सिर्फ पानी है जो कि महासागरों , समुंदरों , नदियों , नाले , झरने , तालाब और हिमखंडों के रूप में हैं जिसमें से लगभग 97.5% पानी तो सिर्फ नमकीन है यानि कि हम वो जल नहीं पी सकते और इसमें से भी सिर्फ 2.5% जल ही मीठा है जिसको हम ग्रहण कर सकते हैं परंतु यह इतनी कम मात्रा भी ध्रुवो और ऊंचे-ऊंचे पर्वतों पर हिमखंडों पर और बर्फ के रूप में उपलब्ध है और अंत में हमारे पीने लायक पानी सिर्फ भूमीगत जल (0.5%) तथा झीलों और नदियों (0.02%) है, कुछ जल की मात्रा मिटटी में (0.01%) और साथ ही हवा में वाष्प के रूप में (0.0001%) ही बचता है और जिसको हम अगर लगातार इसी तरह जाया करते रहेंगे तो आने वाले कुछ दशकों में पानी धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा
कुछ स्थानों पर पानी अधिक मात्रा में उपलब्ध है परंतु कहीं तो अत्यधिक कम मात्रा में मिलता है पर हमारे लिए अच्छी बात यह है कि पानी एक अक्षय स्रोत (Renewable Resource) है और समय-समय पर जल चक्र प्रक्रिया द्वारा अपने आप को रिसाइकल (Recycle) और नवीकरण (Renew) करता रहता है यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पानी का इस्तेमाल हम बेवजह करते रहें और बेवजह जाया करते रहे बल्कि हमें जल संरक्षण के लिए सोचना होगा और यह हमें मिलकर करना होगा ऐसा ना हो कि आने वाले समय में पेयजल का होना मुश्किल हो जाए और यह हमारे लिए एक चुनौती बनकर खड़ा हो जाए
ज्यादा जल भूमिगत का दोहन करने से जल स्तर नीचे चला जाता है और इससे हमारे सामने सूखे फेमा इनकी समस्या खड़ी हो सकती हैं और इसके साथ-साथ मिट्टी की नमी की भी खत्म होती चली जाती है और जब मिट्टी सूखी होती चली जाती है तो दोबारा से चली ज्यादा जल की मात्रा होती है और फिर मिट्टी की उर्वरता स्पष्ट होता है
हम कैसे जल संरक्षण कर सकते हैं
1. हम भारतवासी कई हजारों सालों से प्रकृति के संरक्षण के प्रति सजग रहे हैं और इसके सबूत आपको राजस्थान में बनाई गई बड़ी-बड़ी बावरियों को देखकर मिलता रहेगा कि कैसे हम पहले से ही वर्षा जल का संरक्षण करते आए हैं आप भी यथासंभव बारिश के पानी को बचाकर उसका संग्रह अवश्य करें ताकि आप बाद में इसका इस्तेमाल सिचाई अथवा घरेलू कार्य के लिए कर सकें
2. जितना हो सके जल को प्रदूषित होने से बचाने का हर संभव प्रयास करें जैसे नदियों में कूड़ा करकट ना डालें अगर किसी फैक्ट्री जा इंडस्ट्री का जल दूषित है तो उसे फिल्टर प्रक्रिया वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (Waste Water Treatment Plant) द्वारा शुद्ध करके ही नदियों में छोड़े
3. यहां वर्षा कम होती हैं वहां नेहरो का निर्माण एवं विस्तार करवाया जाए
4. सिंचाई करने के लिए आधुनिक तरीके मॉडर्न मेथड आफ इरिगेशन (Modern Method of Irrigation) का इस्तेमाल करें ताकि जितना फसलों और जमीन को पानी चाहिए उतना ही मिले और पानी बेकार ना बह जाए
5. जितना हो सके उर्वरकों (Fertilizer) का इस्तेमाल कम करें क्योंकि अतिरिक्त उर्वरक वर्षा के पानी के साथ बहकर नदियों और समुद्र तक पहुंच जाता है और वहां विचरण कर रहे समुद्री जीवो के लिए कठिनाइयां पैदा करता है
6. अपने आसपास के जल स्रोतों जैसे झीले , तालाबों को स्वच्छ रखें और दूषित ना होने दें
7. जितना हो सके लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करें
8. प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करें और इसका उपयोग नहीं होना चाहिए
9. कीटनाशकों का उपयोग नहीं होना चाहिए इसकी जगह जैविक कीटनाशकों का उपयोग बेहतर रहता है
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