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Unification of , Germany , Italy and England in Hindi

 जर्मनी का एकीकरण (Unification of Germany) 19वीं सदी के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों में से एक था, जो 18 जनवरी 1871 को संपन्न हुआ। इसका नेतृत्व प्रशा (Prussia) के चांसलर ओटो वॉन बिस्मार्क (Otto von Bismarck) ने किया, और यह कई युद्धों और कूटनीतिक प्रयासों का परिणाम था।

एकीकरण की प्रमुख घटनाएँ:

1. पृष्ठभूमि:

19वीं सदी में, जर्मनी कई छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्यों में बंटा हुआ था, जिनमें प्रमुख राज्य थे: प्रशा, बवेरिया, सैक्सनी, और हनोवर।

"जर्मन कॉन्फेडरेशन" नाम का एक ढीला संघ 1815 में स्थापित किया गया था, लेकिन इसमें एकता की कमी थी।

2. ओटो वॉन बिस्मार्क का उदय:

1862 में, बिस्मार्क को प्रशा का चांसलर बनाया गया। बिस्मार्क ने जर्मन राज्यों को एकीकृत करने के लिए "रक्त और लोहा" (Blood and Iron) की नीति अपनाई, जिसमें युद्ध और कूटनीति का सहारा लिया गया।

3. डेनमार्क के साथ युद्ध (1864):

प्रशा और ऑस्ट्रिया ने मिलकर डेनमार्क के खिलाफ युद्ध लड़ा और श्लेसविग और होल्स्टीन प्रदेशों को जीत लिया। इसने जर्मन राज्यों में एकता की भावना को बल दिया।

4. ऑस्ट्रिया के साथ युद्ध (1866):

बिस्मार्क ने ऑस्ट्रिया को हराने के लिए युद्ध छेड़ा जिसे "सात सप्ताह का युद्ध" कहा जाता है। प्रशा की जीत ने ऑस्ट्रिया को जर्मन मामलों से बाहर कर दिया और उत्तरी जर्मन राज्यों को प्रशा के नेतृत्व में एक संघ (North German Confederation) में संगठित किया।

5. फ्रांस-प्रशा युद्ध (1870-71):

बिस्मार्क ने फ्रांस के साथ युद्ध भड़काया, जिससे जर्मन राज्यों में राष्ट्रवाद की भावना और मजबूत हुई। प्रशा की जीत ने दक्षिण जर्मन राज्यों को प्रशा के नेतृत्व में आने के लिए प्रेरित किया।

6. जर्मन साम्राज्य की स्थापना (1871):

18 जनवरी 1871 को, वर्साय के महल (Versailles Palace) में किंग विल्हेम I को जर्मन सम्राट (Kaiser) घोषित किया गया। इस तरह, बिस्मार्क के प्रयासों से जर्मनी एकीकृत हो गया और एक राष्ट्र-राज्य बन गया।

एकीकरण के परिणाम:

जर्मनी एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा।

औद्योगिकीकरण और सैन्य ताकत में तेजी से वृद्धि हुई।

यूरोपीय संतुलन में बदलाव आया, जिससे आने वाले वर्षों में कई जटिलताएँ और विश्व युद्ध की भूमिका तैयार हुई।

ओटो वॉन बिस्मार्क का इस एकीकरण में प्रमुख योगदान था, और उन्होंने इसे कूटनीति, युद्ध और राजनीति के मिश्रण से सफल बनाया।




2, इटली का एकीकरण (Unification of Italy) 19वीं सदी की एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसे Risorgimento (रीसॉर्जिमेंटो) के नाम से जाना जाता है। यह प्रक्रिया 1815 से शुरू होकर 1871 में पूरी हुई, जिसके परिणामस्वरूप इटली एक एकीकृत राष्ट्र-राज्य बन गया। इसमें कई प्रमुख नेताओं, कूटनीतिक प्रयासों और युद्धों का योगदान रहा।

एकीकरण की प्रमुख घटनाएँ:

1. पृष्ठभूमि:

19वीं सदी की शुरुआत में, इटली छोटे-छोटे स्वतंत्र राज्यों में बंटा हुआ था, जैसे कि सिसिली, सार्डिनिया, पापल स्टेट्स, और लोम्बार्डी-वेनिस।

1815 में हुए वियना कांग्रेस (Congress of Vienna) ने इटली को फिर से विभाजित कर दिया, जिससे एकीकृत इटली का सपना अधूरा रह गया। इटली में राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता की भावना का उदय हुआ।

2. महत्वपूर्ण नेताओं का उदय:

ग्यूसेपे माज़िनी (Giuseppe Mazzini): माज़िनी ने यंग इटली (Young Italy) नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की और इटली के एकीकरण के विचार का प्रचार किया। उन्होंने राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया, लेकिन उनकी क्रांतियाँ असफल रहीं।

काउंट कैमिलो कैवूर (Count Camillo Cavour): कैवूर सार्डिनिया के प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कूटनीति और राजनीति का सहारा लेकर इटली के उत्तरी हिस्सों को एकीकृत किया।

ग्यूसेपे गैरीबाल्डी (Giuseppe Garibaldi): गैरीबाल्डी एक क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने दक्षिणी इटली और सिसिली में विद्रोह का नेतृत्व किया। उन्हें "रेड शर्ट्स" सेना के नेता के रूप में जाना जाता है।

3. मुख्य घटनाएँ और युद्ध:

1848 की क्रांतियाँ: इटली के विभिन्न हिस्सों में 1848 की क्रांतियों ने राष्ट्रवादी भावना को बल दिया, लेकिन ये क्रांतियाँ सफल नहीं हो सकीं।

कैवूर की कूटनीति: कैवूर ने फ्रांस के सम्राट नेपोलियन III के साथ गठबंधन किया और 1859 में ऑस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध छेड़ा। इस युद्ध के परिणामस्वरूप लोम्बार्डी को सार्डिनिया के अधीन कर दिया गया।

गैरीबाल्डी का अभियान (1860): गैरीबाल्डी ने "रेड शर्ट्स" सेना के साथ सिसिली और नेपल्स पर कब्जा किया। उन्होंने इन क्षेत्रों को सार्डिनिया के किंग विक्टर इमैनुएल II को सौंप दिया।

पापल राज्यों का विलय: 1870 में, फ्रांसीसी सेना ने रोम से अपनी सेना हटा ली, जिससे इटली की सेना ने पापल राज्यों (Papal States) पर कब्जा कर लिया। रोम को इटली की राजधानी घोषित किया गया।

4. इटली का एकीकरण (1871):

1871 में, रोम को इटली की राजधानी बनाकर इटली का पूर्ण एकीकरण हुआ। किंग विक्टर इमैनुएल II को पूरे इटली का सम्राट घोषित किया गया।


एकीकरण के परिणाम:

इटली एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्र के रूप में उभरा।

एकीकरण के बावजूद, इटली में क्षेत्रीय विभाजन और आर्थिक असमानताएँ बनी रहीं।

एकीकरण के बाद इटली का औद्योगिकीकरण हुआ, और राष्ट्रवाद की भावना बढ़ी।

इटली का एकीकरण एक लंबे संघर्ष और कई बलिदानों का परिणाम था। माज़िनी ने विचारधारात्मक नेतृत्व दिया, कैवूर ने कूटनीति का सहारा लिया, और गैरीबाल्डी ने सैन्य अभियान से दक्षिणी इटली को स्वतंत्र किया। इन तीनों नेताओं की भूमिका ने इटली को एक राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।




3. इंग्लैंड का एकीकरण एक लंबे ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम था जो धीरे-धीरे कई शताब्दियों में पूरी हुई। इंग्लैंड का एकीकरण 10वीं और 11वीं शताब्दी के दौरान हुआ और इसमें कई राजनीतिक, सैन्य, और कूटनीतिक घटनाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई।

प्रमुख घटनाएँ और प्रक्रियाएँ:

1. पांचवी और छठी शताब्दी: एंग्लो-सैक्सन शासन की शुरुआत

रोमन साम्राज्य के पतन (5वीं शताब्दी) के बाद, ब्रिटेन में कई छोटे-छोटे एंग्लो-सैक्सन राज्य स्थापित हो गए थे। इन राज्यों को हेप्टार्की (Heptarchy) कहा जाता था, जिनमें प्रमुख राज्य थे: नॉर्थम्ब्रिया, मर्सिया, ईस्ट एंग्लिया, केंट, ससेक्स, एसेक्स, और वेसेक्स।

इन राज्यों के बीच लगातार संघर्ष और सत्ता संघर्ष होते रहे, जो एकीकरण की प्रक्रिया को धीमा कर रहे थे।

2. वेसेक्स का उदय (9वीं शताब्दी):

वेसेक्स राज्य एक महत्वपूर्ण एंग्लो-सैक्सन राज्य बन गया। इसके राजा, अल्फ्रेड द ग्रेट (871–899), ने डेनिश आक्रमणकारियों (वाइकिंग्स) के खिलाफ सफलतापूर्वक संघर्ष किया और इंग्लैंड के दक्षिणी हिस्सों को नियंत्रित किया।

अल्फ्रेड द ग्रेट के शासनकाल में एक मजबूत केंद्रीय सरकार की नींव रखी गई और डेनिशों के साथ एक शांति समझौता किया गया जिसे डेनलॉ कहा जाता था।

3. अल्फ्रेड के उत्तराधिकारी और एकीकरण की दिशा:

अल्फ्रेड के उत्तराधिकारियों, विशेष रूप से उनके पोते एथेल्स्टन (Athelstan), ने पूरे इंग्लैंड को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एथेल्स्टन को 927 ईस्वी में "इंग्लैंड का पहला राजा" माना गया क्योंकि उन्होंने पूरे एंग्लो-सैक्सन और वाइकिंग क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में कर लिया।

उन्होंने स्कॉटलैंड और वेल्स के क्षेत्रों पर भी अपना प्रभाव बढ़ाया, जिससे इंग्लैंड का क्षेत्रीय विस्तार हुआ।

4. डेनिश आक्रमण और नॉर्मन विजय (11वीं शताब्दी):

11वीं शताब्दी की शुरुआत में, इंग्लैंड डेनिश आक्रमणों से प्रभावित रहा, और कैनूट द ग्रेट (Cnut the Great) ने 1016 में इंग्लैंड पर अधिकार कर लिया। उनके शासनकाल के दौरान, इंग्लैंड, डेनमार्क और नॉर्वे का एक विशाल साम्राज्य बन गया।

1066 में, नॉर्मन विजय ने इंग्लैंड के एकीकरण को एक निर्णायक मोड़ दिया। नॉर्मंडी के ड्यूक विलियम द कॉंकरर (William the Conqueror) ने हेस्टिंग्स की लड़ाई में एंग्लो-सैक्सन राजा हैरोल्ड को हराया और इंग्लैंड पर कब्जा कर लिया।

नॉर्मन विजय के बाद, इंग्लैंड में एक मजबूत केंद्रीकृत शासन स्थापित किया गया और नॉर्मन संस्कृति का गहरा प्रभाव पड़ा।

5. सामंती व्यवस्था और कानून की स्थापना:

विलियम के शासनकाल में सामंती व्यवस्था को मजबूती मिली और एक केंद्रीकृत प्रशासन की नींव रखी गई।

Domesday Book (1086) जैसी सर्वेक्षण पुस्तकों का निर्माण हुआ, जिसने इंग्लैंड के प्रशासन और कर संग्रह को अधिक संगठित किया।

नॉर्मन शासकों ने इंग्लैंड को मजबूत राजनीतिक इकाई में बदल दिया, जहाँ राजा की सत्ता केंद्रीकृत थी और उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों पर सीधा नियंत्रण कायम रखा।

एकीकरण के परिणाम:

इंग्लैंड के एकीकरण ने एक मजबूत और स्थिर केंद्रीय शासन की स्थापना की, जिससे राजनीतिक स्थिरता और साम्राज्य विस्तार में मदद मिली।

नॉर्मन विजय ने इंग्लैंड की भाषा, संस्कृति और कानूनों पर नॉर्मन प्रभाव डाला, जिसने इंग्लैंड के भविष्य के विकास को आकार दिया।

इंग्लैंड का एकीकरण न केवल आंतरिक राजनीतिक स्थिरता का प्रतीक था, बल्कि उसने इसे एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में यूरोप में उभरने में भी मदद की।

इस तरह, इंग्लैंड का एकीकरण 9वीं से 11वीं शताब्दी के दौरान धीरे-धीरे विकसित हुआ, और इसका अंतिम चरण नॉर्मन विजय के साथ समाप्त हुआ, जिसने आधुनिक इंग्लैंड के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


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